![]() |
| Photo Credit-https://www.ritiriwaz.com/vedas/ |
चार वेद हैं - ॠग, साम, यर्जु और अथर्व वेद। ॠग वेद में ब्रह्मांड, इसकी उत्पत्ति, निर्माण, रखरखाव और विघटन का संपूर्ण ज्ञान शामिल है। वेद के 39 पहलुओं की टिप्पणियां ॠग वेद में हैं। ॠग वेद जागृत आत्मा को प्रदर्शित करता है जो सभी प्राकृतिक कानूनों का एकीकृत क्षेत्र है, जहां से उत्पत्ति का निर्माण होता है। जब चेतना, आत्मा जागती है तो यह वेद बन जाता है। यह इसकी अपनी प्रकृति है जो आत्मा खुद को अनुभव करेगी और इस अनुभव से उत्पत्ति की शुरुआत का अनुभव होता है। आत्मा फिर अस्तित्व के सभी मूल गुणों का निर्माण करती है। सबसे पहल यह (पुरुष, लौकिक मन) प्रकृति (प्रकृति मां, मौलिक पदार्थ) बनती है। उसके बाद यह जीवा (अहंकार), व्यक्ति की आत्मा बनती है और बुद्धि बनने तक जारी रहती है और आखिर में मानव दिमाग, मानस बनता है। उसके बाद यह भौतिक आकार बनना शुरु करती है। सबसे पहले आकाश, फिर वायु, अग्नि, अपस और आखिर में पृथ्वी।
आत्मा खुद को कई गुणा बढ़ा लेती है और पूरा ब्रह्मांड बन जाती है, जिसे विश्व कहा जाता है। जब आत्म विकास के सभी चरणें के जरिए गुजरी है और खुद को पूर्ण प्रबुद्ध मनुष्य के तौर पर जानती है, यह ब्राह्मण बन जाती है।
पूरी तरह प्रबुद्ध स्थिति में, आत्मा जानती है कि “मैं सभी कुछ हूं, मैं समग्र हूं”।
अहम ब्राह्मस्मी – मैं पूर्णता हूं - बृहदारण्यिक उपनिषद, 1.4.10
यह आत्मा के क्रमिक विकास की पूरी श्रृंखला है। ऐसा केवल मानव शरीर के साथ संभव है। मानव लौकिक है! डॉक्टर टोनी नादर के वैज्ञानिक ग्रंथ “ह्यूमन फिजियोलॉजी – एक्सप्रेशन ऑफ वेदा और द वैदिक लिट्रेचर” में, उन्होंने हमें दिखाया कि हम इस अनंत प्रबुद्धता के एकदम सही प्रतिबिंब हैं।
सभी देवों, पूरा वेद, सारी बुद्धिमत्ता, की मानव शरीर में अपनी जगह है और केवल इसे जागृत करना होता है। इसीलिए अच्छा खाना और जड़ी-बूटियों और मसालों की चिकित्सा शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्यवर्धक दिनचर्या, नियमित ध्यान लगाना और योग, साथ ही साथ स्वास्थ्यवर्धक और लजीज खाना प्रबुद्धत्ता की दिशा में व्यक्तित्व के तेज विकास का आधार हैं।

No comments:
Post a Comment