Monday, 14 October 2019

Ayurvedic Herbs & Spices: Elixir of Life

India, a centre of spice origins (during the first millennium BC)


Many people have the impression that some spices specially garam masala, black pepper, lavang are the cause of diseases but this is a myth. The textbooks of Ayurveda and in particular the Puranas, the history of mankind, describe the exceptional healing powers of herbs and spices.

Masala


Because spices have very low-calorie content and are relatively inexpensive, they are reliable sources of antioxidants and other potential bioactive compounds in the diet.

Spices enliven, refresh, renew, rejuvenate, heal and make us whole again. Therefore we should love herbs and spices and treasure them.

The Veda and Vedic literature, with its 40 aspects, has many references to herbs and spices and is full of praise for their healing properties. In particular Rik Veda, the constitution of the universe, which is the first part of the Veda and is the foundation of all knowledge, often speaks in its hymns about the wonder of herbs.

The textbooks of Ayurveda and in particular the Puranas, the history of mankind, describe the exceptional healing powers of herbs and spices. They state that the greatest healing powers are possessed by the sacred mantras of the Veda. Pure and clear gems come next, followed by medicinal herbs and spices.  

Because herbs and spices have such radiance and healing power, it is often said that the Devas visit them and linger there for some time. The Devas are the impulses of creative intelligence that preserve everything and they embody the laws of nature.

Some of the spices grown in India today-long pepper, black pepper, cinnamon, turmeric, and cardamom — have been known here for thousands of years. Excavations in the Indus Valley reveal that herbs and spices had been used even before about 1000 B.C., sacrificial formulas of the Brahmanical system of religious belief, were formulated. The medical writings of both Charaka (first century A.D.) and Susruta II (second century A.D.) make frequent references to uses of herbs and spices covering the period back to about 500 B.C. Susruta II enumerated over seven hundred drugs of plant origin, including cinnamon, ginger, turmeric, and various kinds of pepper.

Practical advice


Spices should preferably be bought whole and then ground just before use. It is worthwhile buying a small, herb grinder, an electric coffee grinder or a mortar and pestle. Spices only unfold their full aroma when ground. Also, their healing properties are strengthened.

Important note:

Never use medicinal herbs as drugs. Used in excess all herbs are toxic and do not have the desired influence.

For more deep knowledge about the Herbs and Spices click the below Link

Ayurvedic Herbs & Spices: Elixir of Life

Herbs


This book covers some of the most important aspects of the herbs & spices such as their medicinal, remedial effects, vitamins, antibacterial benefits, the effect on Doshas and many other aspects. At the end, I have included some of the masala powder recipes which will make your food healthy, delicious and easy to digest.

This is must read book for healthy kitchen and recepies.

Tuesday, 7 May 2019

घी – एक चमत्‍कारी औषधि

घी 

जो आयुर्वेद इस्तेमाल कर चुके हैं वे जानते हैं कि घी को पहले से ही चमत्‍कारी दवा का रुतबा प्राप्‍त है। पुराने वैदिक ग्रंथों में कहा गया है कि घी एक ऐसा उत्पाद है जो मां के दूध की गुणवत्ता के निकट होता है और मस्तिष्क संबंधी कोर्टेक्‍स के समान आणविक संरचना होती है। अनुभव से यह ज्ञात है कि जितने समय के दौरान बच्चों का पोषण केवल मां के दूध द्वारा होता है, उनका पाचन तंत्र बहुत अच्छी तरह से कार्य करता है और उनके मल में एक सुखद गंध होती है, साथ ही बच्चों में भी बहुत ही सुखद गंध होती है और उनकी नाजुक प्रतिरक्षा प्रणाली जीवन में किसी अन्य समय की तुलना में इस समय ज्‍यादा मजबूत होती है। क्योंकि दूध में माता का प्यार होता है, जो इसे सभी सामग्रियां प्रदान करता है जो कि बच्चे के लिए अच्छी तरह से विकसित होते हैं। विशेष रूप से, ओज बीमारियों से शरीर को बचाता है। यह सामग्री स्वस्थ शिशु में उच्च मात्रा में पाई जाती है और गहरे आकर्षण का कारण भी है जो बच्चों के प्रति लोगों में होता है।

आयुर्वेद के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: आयुर्वेद का परिचय

“खुशहाल” और स्‍वस्‍थ गाय के दूध में लगभग समान बहुमूल्‍य सरंचनात्‍मक पदार्थ होते हैं। दूध के इन गुणों को एकीकृत करने के लिए निम्‍नलिखित प्रक्रियाओं को करें:- दूध से मलाई निकालना। मलाई से मक्‍खन बनाना। अगला कदम होता है मक्‍खन को पिघलाना और शुद्ध करना। आखिर में मिलने वाला उत्‍पाद “घी” होता है। 
घी प्रोटीन और अपशिष्‍ट पदार्थो से मुक्‍त होता है और इसमें ओज की मात्रा अन्‍य सभी भोजन से अधिक होती है।
लेकिन सावधान रहें। बहुत ज्‍यादा घी इस्‍तेमाल करने से लीवर कमजोर हो सकता है।
प्रत्‍येक भोजन जिसे घी में पकाया जाता है उसके अपने गुण भी ताकतवर हो जाते हैं, मानव शरीर द्वारा इसे बेहतर ढंग से अवशोषित किया जाता है और पचाने में आसान होता है। घी भोजन को विघटित करने और इसकी ऊर्जा को स्‍थानांतरित करने के लिए सबसे अच्‍छा उत्‍प्रेरक है। घी को पाचन क्रिया द्वारा इतना परिष्‍कृत बना दिया जाता है कि यह छोटी से छोटी कोशिकाओं में भी प्रवेश करने में सक्षम रहता है, उनका पोषण और सफाई करता है। इसके अलावा, घी में जीवन को नये प्राण देने का प्रभाव होता है।
आयुर्वेदिक शुद्धिकरण उपचार, पंचकर्म में भी घी का इस्‍तेमाल होता है। अन्‍य शुद्धिकरण तरीकों की तुलना में, पंचकर्म न केवल पानी में घुलनशील अशुद्धियों को हटाता है बल्कि वसा में घुलनशील विषाक्‍त पदार्थों और शरीर में जमा भारी धातु को भी हटाता है।
घी बहुत ही शुद्ध और जानवरों के प्रोटीन से पूरी तरह मुक्‍त होता है: घी बनाने के लिए केवल नमक रहित, आर्गेनिक मक्‍खन ही इस्‍तेमाल करें।
इन्‍ही कारणों से घी को आयुर्वेदिक रसोई में वनस्‍पति तेलों की तुलना में पसंद किया जाता है। तेलों को ऊपर से छिड़का जाता है। जैतून और सूरजमुखी से कोल्‍ड प्रेस्‍ड तेलों को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सबसे अच्‍छे तेलों में गिना जाता है क्‍योंकि वे पचाने में आसान और पौष्टिक होते हैं। हालांकि, मैं इन तेलों को तलने के लिए इस्‍तेमाल नहीं करने की सिफारिश करता हूं। इसके लिए, नारियल तेल इस्‍तेमाल करना बेहतर रहता हैं। तलने के लिए घी भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। फिर भी, इसे बहुत ज्‍यादा गर्म न होने दें क्‍योंकि यह बहुत जल्‍दी जल जाता है। यदि घी से धुआं निकलने लगे तो, समझ ले यह बहुत गर्म हो चुका है। कृपया केवल उच्‍च गुणवत्‍ता के तेलों का इस्‍तेमाल करें। सस्‍ते तेल ज्‍यादातर मूंगफली से बनाये जाते हैं और पचाने में मुश्किल होते हैं। बुरे तेल के सेवन से पेट भी फूलता है। सोयाबीन के तेलों से बचें, जिन्‍हें पचाना मुश्किल होता है और अक्‍सर आनुवांशिक रुप से संसोधित पौधें से बनते हैं।

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ज्‍यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Ayurvedic Khana Khazana

Wednesday, 20 March 2019

भोजन के प्रकार (Types of Food)



आयुर्वेद जीवन का समर्थन करने वाले और जीवन को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों के बीच अंतर करता है। कुछ भोजन शरीर और मन का उत्‍तम ढंग से पोषण करते हैं, जबकि अन्य नहीं करते हैं।

सात्विक भोजन

सात्विक गुणवत्ता वाले भोजन शरीर का निर्माण करते हैं और सभी प्रकार के लोगों के लिए स्पष्टता, खुशी और प्राण ऊर्जा प्रदान करते हैं। घी, शहद, दूध, ताजे, पके हुए फल और सब्जियां, साथ ही साथ अनाज और चावल सात्विक खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं। भूमि के ऊपर उगने वाली सब्जियां भूमिगत उगने वाली सब्जियों से बेहतर होती हैं, क्योंकि वे अधिक सौर ऊर्जा संचित कर सकती हैं। चुकुंदर और गाजर अपवाद हैं। केवल रासायनिक और आनुवांशिक संशोधन रहित, 100% शुद्ध भोजन, सात्विक हो सकता है। स्वादिष्ट, हल्के और ताजे वैदिक मेन्‍यू स्वभाविक रुप से सात्विक होते हैं।

राजसी भोजन

राजसी गुणवत्‍ता वाला भोजन तन और मन को गर्मी प्रदान करता है। अ‍त्‍यधिक या गलत मात्रा में इस्‍तेमाल करने पर, वे व्‍यक्ति को हठी, आक्रामक और अधीर बना सकता है। हालांकि, जो आलसी, सुस्‍त और निष्क्रिय हैं वे राजसी भोजन को अल्‍प मात्राओं में खा सकते हैं। राजसी भोजन कफ सरंचना वाले लोगों को तरोताजा कर देता है और उन्‍हें किसी भी गतिविधि और चीजों को देखने की क्षमता के लिए ज्‍यादा दृढ़ संकल्‍प और आवेग प्रदान करता है। सभी गर्म मसाले, मूली, प्‍याज, लहसुन, लीक, पेपरिका और चिली राजसी भोजन के उदाहरण हैं। इसके अलावा काफी, ब्‍लैक टी, शराब और विलासी भोजन इस श्रेणी से संबंधित है और यदि खाये जाते हैं तो, बहुत ध्‍यान दिया जाना चाहिए। 

तामसी भोजन

तमस गुणवत्‍ता वाला भोजन तन और मन को शिथिल, सुस्‍त और नीरस बनाता है। वे पाचन प्रणाली पर बोझ डालते हैं और बीमारी को बढ़ावा देते हैं। वे भोजन विशिष्‍ट विषाक्‍त पदार्थों को उत्‍पादित करते हैं। इसका शाब्दिक मतलब होता है “अपच भोजन”। तामसी भोजनों में मांस, अंडे, सख्‍त चीज, पैकबंद दूध, प्रिजर्वेटिव्‍स युक्‍त भोजन, डीप फ्रोजन और कैन बंद उत्‍पाद, दोबारा गर्म किया गया भोजन, इंस्‍टेन्‍ट भोजन, आनुवांशिक तौर पर संसोधित और सिंथेटिक भोजन शामिल है। सिरका, कैमिकल की दृष्टि से अत्‍यधिक अम्‍लता वाला एल्‍कोहॉल माना जाता है, परिष्‍कृत शक्‍कर, चॉकलेट, औद्योगिक तौर पर निर्मित नमक और मूंगफली के सभी उत्‍पादों में ऐसे तत्‍व होते हैं जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मशरुम और तोफू चीज भी तामसी भोजन के समूह से संबंधित है। पुराना भोजन, फरर्मेन्‍टेड पेय (एल्‍कोहॉलिक ड्रिंक्‍स), यीस्‍ट वाला भोजन या मशरुम तामसी होते हैं। हर तरह का ड्रग तमस से पूर्ण होता है। इसीलिए, व्‍यक्ति को इस तरह के भोजन और पेय पदार्थों पर नजर रखनी चाहिए।

सफेद शक्‍कर

सफेद परिष्‍कृत शक्‍कर से लगभग सभी विटामिन और मिनरल निकाल लिए जाते हैं। यह शरीर में रासायनिक बम जैसा काम करती है, क्‍योंकि यह शरीर की कोशिकाओं में मुक्‍त कणों को बांध देती है और उनका पोषण करती हैं। गन्‍ने की कच्‍ची शक्‍कर, पॉम शुगर, गुड़ और शहद की नपी-तुली मात्रा लें। डायबिटीज वाले लोग भी फ्रूक्‍टोज इस्‍तेमाल कर सकते हैं। शर्करा जो गन्‍ने की परिष्‍कृत शक्‍कर होती है, एकमात्र एक ऐसी शक्‍कर है जिसमें प्राकृतिक pH वैल्‍यू और संतुलित पित्‍त होता है। शक्‍कर के विकल्‍प इसकी जगह नहीं ले सकते हैं, क्‍योंकि साबित हो चुका है कि वे मुक्‍त कणों को बढ़ाते हैं। पाचन तंत्र उन्‍हें बाहरी तत्‍व मानता है। 
ध्‍यान रखें: शहद को 40 डिग्री से अधिक तापमान पर न उबालें क्‍योंकि इसके कारण विषाक्‍त पदार्थ उत्‍पन्‍न हो सकते हैं। 
पुरानी आयुर्वेदिक कहावत है: 
“यदि आप शहद को गर्म करते हैं, अमृत विष में तब्‍दील हो जाता है!”

वैदिक जड़ी-बूटियां (Herbs) और मसाले


आयुर्वेद के ग्रंथों और खासकर पुराणों में, मानवजाति का इतिहास, जड़ी-बूटियों और मसालों के बेजोड़ चिकित्‍सीय शक्ति का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि सर्वश्रेष्‍ठ चिकित्‍सीय शक्तियां वेदों के पवित्र मंत्रों में निहित होती हैं। शुद्ध और स्‍पष्‍ट रत्‍न उसके बाद आते हैं, इसके बाद औषधीय जड़ी-बूटियां और मसाले आते हैं।
क्‍योंकि जड़ी-बूटियों और मसालों में ऐसी तेजस्‍वी और चिकित्‍सीय शक्ति होती है, इसलिए अक्‍सर ऐसा कहा जाता है कि देवता उनसे मिलने आते हैं और कुछ देर के लिए वहां महक बिखेरते हैं।
मसाले हमें जागृ‍त, तरोताजा करते हैं, नया रुप देते हैं, पुर्नजीवित, रोगों से मुक्‍त करते हैं और हमें फिर से संपूर्ण बनाते हैं। इसीलिए हमें जड़ी-बूटियों और मसालों से प्‍यार करना चाहिए और उन्‍हें संजोकर रखना चाहिए। मैं आपको प्रकृति मां के इन खजानों के साथ ढेर सारी खुशियों की शुभ-कामना देता हूं।

व्‍यवहारिक सलाह

मसालें जहां तक हो सके साबुत खरीदे जाने चाहिए और उसके बाद उन्‍हें इस्‍तेमाल करने से ठीक पहले पीसा जाना चाहिए। ग्राइंडर या इमाम जस्‍ता खरीदना फायदेमंद होता है। मसाले केवल पीसने पर अपनी पूरी महक को छोड़ते हैं। साथ ही उनके चिकित्‍सीय गुण मजबूत होते हैं।

मसालों को स्‍टोर करना

सभी मसालों को बढ़िया सील बंद डिब्‍बों में रखना चाहिए। कांच के डिब्‍बे उपयुक्‍त रहते हैं। जो प्‍लास्टिक के डिब्‍बे इस्‍तेमाल करते हैं, जो बहुत व्‍यवहारिक हो सकते हैं, सुनिश्चित कर लेना चाहिए वे एसिड रेसिसटेंट हैं। पिसी लौंग और जायफल, उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार के प्‍लास्टिक्‍स पर हमला कर सकते हैं। खाना पकाने की वैदिक परंपरा में हमेशा अलग-अलग ताजे मसालों और जड़ी-बूटियों को इस्‍तेमाल किया जाता है।
मसाले केवल सीमित समय के लिए रखे जाने चाहिए। साबुत मसाले आमतौर पर लगभग 2 साल तक सुरक्षित रहते हैं। पिसे हुए मसाले अधिकतम 1 साल तक। इस समय के बाद आपके मसालों को आवश्‍यक रुप से छांट लेना चाहिए। तब तक वे अपनी चिकित्‍सीय गुण खो चुके होते हैं।
वैदिक किचन में मूल और सर्वोत्‍तम सिद्धान्‍त यह है कि सबसे पहले हमेशा नये पिसे हुए मसालों को घी में तलना चाहिए और उसके बाद इनमें सब्जियों, दाल, चटनी आदि पकवानों को पकाना चाहिए। यदि जरुरी हो तो थोड़ा सा गर्म पानी डाल लें। आयुर्वेद में नियम है, जो यह कहता है – सबसे अच्‍छे व्‍यंजन वे होते हैं जो घी और मसालों के साथ शुरुआत करते हुए पकाये जाते हैं। दूसरी सबसे अच्‍छे वे होते हैं, जब खाना पकाने के बीच में घी और मसालों को तला जाता है और सभी चीजों को बाद में एक साथ पकाया जाता है। तीसरे सबसे अच्‍छे प्रकार का व्‍यंजन वह होता है जहां घी और मसालों को तल कर अंत में डाला जाता है और उसके बाद सभी चीजों को एक बार फिर से साथ में पकाया जाता है।
सभी चीजों को घी और मसालों के मिश्रण में शुरुआत में पकाने का कारण है कि घी इस्‍तेमाल करते हुए मसाले 1. खुल जाते हैं, 2. पचाना आसान बनाते हैं, 3.मसाले और उनके चिकित्‍सीय गुण खाने में बेहतर ढंग से अवशोषित होते हैं 4. भोजन और इसके विटामिन्‍स ज्‍यादा आसानी से शरीर में अवशोषित होते हैं।
एक और बात जो आपको वास्‍तव में जाननी चाहिए कि घी एकमात्र ऐसा फैट है जो शरीर की प्रत्‍येक कोशिका में बिना किसी बाधा के प्रवेश करता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि घी इतना शुद्ध होता है कि यह मां के दूध की गुणवत्‍ता के सबसे नजदीक होता है। घी पूरे शरीर के पूरे मेटाबोलिज्‍म के लिए पोषण का सबसे अच्‍छा ट्रांसफॉर्मर और प्रदानकर्ता होता है। घी दिव्‍य है। 
इस्‍तेमाल की प्रक्रियासबसे बड़े और सबसे सख्‍त मसालों को घी में हमेशा सबसे पहले तलना चाहिए। अर्थात वे जिन्‍हें सुनहरा होने और अपनी सुगंध छोड़ने में सबसे ज्‍यादा समय चाहिए होता है।
सरसों के दाने सबसे लंबा समय लेते हैं। कृपया सुनिश्चित करें कि आपका घी बहुत ज्‍यादा गर्म न हो। दानों को केवल ब्राउन होते समय हल्‍का सा ‘तड़कना’ होता है। यदि, हालांकि, फैट बहुत गर्म होने पर, इसे आंच से हटा लें और कुछ देर रुकें। कभी भी जले हुए फैट को इस्‍तेमाल न करें और इसे उचित तरीके से फेंक दें।
बढ़िया मसालों वाला खाना भूख और पाचक रसों को जागृ‍त करता है।
खासतौर से, बुजुर्ग लोग, जिनकी पाचन शक्ति प्राकृतिक रुप से कमजोर होती है उनहें इसे दिल से मानना चाहिए। बीमारी के दौरान मसालों का इस्‍तेमाल लगभग बिना किसी प्रतिबंध के सिफारिश किया गया है। लेकिन कृपया याद रखें, गैस्‍ट्रो-इंटेस्टिनल समस्‍याओं वाले केवल हल्के मसालों और हर्ब्‍स को इस्‍तेमाल करें।
इसी वजह से संवेदनशील जीभ और पेट वाले बच्‍चों के लिए भी नियम लगभग यही है। हालांकि स्‍कूल जाने वाले बच्‍चे जिन्‍हें भूख संबंधी समस्‍या है। बढ़िया मसालेदार, स्‍वादिष्‍ट खाना उन्‍हें अपनी खाने की खुशी को दोबारा वापिस पाने में मदद करता है।
वे जो बहुत ज्‍यादा नमक खाना नहीं चाहते हैं उन्‍हें याद रखना चाहिए कि अच्‍छा-मसालेदार आधा नमकीन होता है।

महत्‍वपूर्ण निर्देश

कभी भी औषधीय जड़ी-बूटियों को ड्रग्‍स के रुप में इस्‍तेमाल न करें। अत्‍यधिक मात्रा में इस्‍तेमाल करने पर सभी जड़ी-बूटियां जहरीली होती है और मन-मुताबिक प्रभाव नहीं होता है।

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गरम मसाला

Garam Masala
घर में बना मसाला न केवल शुद्ध होता है बल्कि सेहतमंद भी होता है इसलिए हमेशा कोशिश कीजिए कि आप साबुत मसाला खरीदें और उसे घर पर आवश्‍यकता अनुसार पीसें। पीसते समय ध्‍यान रखेंं कि इसे धीरे-धीरे पीसा जाना चाहिए नहीं तो इसमें मौजूद तेल उड़ जाते हैं और यह मन चाहा स्‍वाद नहीं देता है।

दोस्‍तों जैसा कि हम सभी जानते हैं गरम  का मतलब है तीखा या भुना हुआ और मसाला मतलब मिश्रण।

8 लोगों के खाने के लिए सामग्रियां
2 चम्‍मच जीरा
2 चम्‍मच साबुत धनिया
1 चम्‍मच इलायची के दाने
1 चम्‍मच दालचीनी की छाल
1 चम्‍मच काली मिर्च के दाने
1 तेज पत्‍ता
6 साबुत लौंग
चौथाई चम्‍मच जायफल

सलाह: उत्‍तम स्‍वाद के लिए रायते में एक चम्‍मच गरम मसाला इस्‍तेमाल करें।

बनाने की विधि: उत्‍तर भारत में विभिन्‍न मसालों को तैयार करने की परमपरा हजारों सालों से है। सामान्‍य नियम यह है कि मसाले को खाने में परोसने से पहले डाला जाता है। मसाले सर्दियों के मौसम के लिए ज्‍यादा उपयुक्‍त रहते हैं।

जायफल के अलावा सभी मसालों को एक पैन में, मध्‍यम आंच पर भून लें। कोई भी फैट इस्‍तेमाल न करें। मसालों की महक आने और उनकी मसालेदार खुशबू के हवा में फैलने तक तक भूनें। महत्‍वूर्ण बात – मसालों को जलने न दें, वरना उनके औषधीय गुण खत्‍म हो जायेंगे। 3-5 मिनट आमतौर पर पर्याप्‍त हैं और आपको मसालों को भूनते समय लगातार चलाते रहना चाहिए। भूनने के आखिर मिनट में, घिसा हुआ जायफल डालें और उसके बाद मिश्रण को कटोरे में डालें और ठंडा होने दें। मसालों को पीसने के लिए ग्राइंडर इस्‍तेमाल करें और आखिर में मिश्रण को एक एयर टाइट जार में रख दें। मिश्रण को लगभग एक महीने तक रखा जा सकता है।