Wednesday, 20 March 2019

वैदिक जड़ी-बूटियां (Herbs) और मसाले


आयुर्वेद के ग्रंथों और खासकर पुराणों में, मानवजाति का इतिहास, जड़ी-बूटियों और मसालों के बेजोड़ चिकित्‍सीय शक्ति का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि सर्वश्रेष्‍ठ चिकित्‍सीय शक्तियां वेदों के पवित्र मंत्रों में निहित होती हैं। शुद्ध और स्‍पष्‍ट रत्‍न उसके बाद आते हैं, इसके बाद औषधीय जड़ी-बूटियां और मसाले आते हैं।
क्‍योंकि जड़ी-बूटियों और मसालों में ऐसी तेजस्‍वी और चिकित्‍सीय शक्ति होती है, इसलिए अक्‍सर ऐसा कहा जाता है कि देवता उनसे मिलने आते हैं और कुछ देर के लिए वहां महक बिखेरते हैं।
मसाले हमें जागृ‍त, तरोताजा करते हैं, नया रुप देते हैं, पुर्नजीवित, रोगों से मुक्‍त करते हैं और हमें फिर से संपूर्ण बनाते हैं। इसीलिए हमें जड़ी-बूटियों और मसालों से प्‍यार करना चाहिए और उन्‍हें संजोकर रखना चाहिए। मैं आपको प्रकृति मां के इन खजानों के साथ ढेर सारी खुशियों की शुभ-कामना देता हूं।

व्‍यवहारिक सलाह

मसालें जहां तक हो सके साबुत खरीदे जाने चाहिए और उसके बाद उन्‍हें इस्‍तेमाल करने से ठीक पहले पीसा जाना चाहिए। ग्राइंडर या इमाम जस्‍ता खरीदना फायदेमंद होता है। मसाले केवल पीसने पर अपनी पूरी महक को छोड़ते हैं। साथ ही उनके चिकित्‍सीय गुण मजबूत होते हैं।

मसालों को स्‍टोर करना

सभी मसालों को बढ़िया सील बंद डिब्‍बों में रखना चाहिए। कांच के डिब्‍बे उपयुक्‍त रहते हैं। जो प्‍लास्टिक के डिब्‍बे इस्‍तेमाल करते हैं, जो बहुत व्‍यवहारिक हो सकते हैं, सुनिश्चित कर लेना चाहिए वे एसिड रेसिसटेंट हैं। पिसी लौंग और जायफल, उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार के प्‍लास्टिक्‍स पर हमला कर सकते हैं। खाना पकाने की वैदिक परंपरा में हमेशा अलग-अलग ताजे मसालों और जड़ी-बूटियों को इस्‍तेमाल किया जाता है।
मसाले केवल सीमित समय के लिए रखे जाने चाहिए। साबुत मसाले आमतौर पर लगभग 2 साल तक सुरक्षित रहते हैं। पिसे हुए मसाले अधिकतम 1 साल तक। इस समय के बाद आपके मसालों को आवश्‍यक रुप से छांट लेना चाहिए। तब तक वे अपनी चिकित्‍सीय गुण खो चुके होते हैं।
वैदिक किचन में मूल और सर्वोत्‍तम सिद्धान्‍त यह है कि सबसे पहले हमेशा नये पिसे हुए मसालों को घी में तलना चाहिए और उसके बाद इनमें सब्जियों, दाल, चटनी आदि पकवानों को पकाना चाहिए। यदि जरुरी हो तो थोड़ा सा गर्म पानी डाल लें। आयुर्वेद में नियम है, जो यह कहता है – सबसे अच्‍छे व्‍यंजन वे होते हैं जो घी और मसालों के साथ शुरुआत करते हुए पकाये जाते हैं। दूसरी सबसे अच्‍छे वे होते हैं, जब खाना पकाने के बीच में घी और मसालों को तला जाता है और सभी चीजों को बाद में एक साथ पकाया जाता है। तीसरे सबसे अच्‍छे प्रकार का व्‍यंजन वह होता है जहां घी और मसालों को तल कर अंत में डाला जाता है और उसके बाद सभी चीजों को एक बार फिर से साथ में पकाया जाता है।
सभी चीजों को घी और मसालों के मिश्रण में शुरुआत में पकाने का कारण है कि घी इस्‍तेमाल करते हुए मसाले 1. खुल जाते हैं, 2. पचाना आसान बनाते हैं, 3.मसाले और उनके चिकित्‍सीय गुण खाने में बेहतर ढंग से अवशोषित होते हैं 4. भोजन और इसके विटामिन्‍स ज्‍यादा आसानी से शरीर में अवशोषित होते हैं।
एक और बात जो आपको वास्‍तव में जाननी चाहिए कि घी एकमात्र ऐसा फैट है जो शरीर की प्रत्‍येक कोशिका में बिना किसी बाधा के प्रवेश करता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि घी इतना शुद्ध होता है कि यह मां के दूध की गुणवत्‍ता के सबसे नजदीक होता है। घी पूरे शरीर के पूरे मेटाबोलिज्‍म के लिए पोषण का सबसे अच्‍छा ट्रांसफॉर्मर और प्रदानकर्ता होता है। घी दिव्‍य है। 
इस्‍तेमाल की प्रक्रियासबसे बड़े और सबसे सख्‍त मसालों को घी में हमेशा सबसे पहले तलना चाहिए। अर्थात वे जिन्‍हें सुनहरा होने और अपनी सुगंध छोड़ने में सबसे ज्‍यादा समय चाहिए होता है।
सरसों के दाने सबसे लंबा समय लेते हैं। कृपया सुनिश्चित करें कि आपका घी बहुत ज्‍यादा गर्म न हो। दानों को केवल ब्राउन होते समय हल्‍का सा ‘तड़कना’ होता है। यदि, हालांकि, फैट बहुत गर्म होने पर, इसे आंच से हटा लें और कुछ देर रुकें। कभी भी जले हुए फैट को इस्‍तेमाल न करें और इसे उचित तरीके से फेंक दें।
बढ़िया मसालों वाला खाना भूख और पाचक रसों को जागृ‍त करता है।
खासतौर से, बुजुर्ग लोग, जिनकी पाचन शक्ति प्राकृतिक रुप से कमजोर होती है उनहें इसे दिल से मानना चाहिए। बीमारी के दौरान मसालों का इस्‍तेमाल लगभग बिना किसी प्रतिबंध के सिफारिश किया गया है। लेकिन कृपया याद रखें, गैस्‍ट्रो-इंटेस्टिनल समस्‍याओं वाले केवल हल्के मसालों और हर्ब्‍स को इस्‍तेमाल करें।
इसी वजह से संवेदनशील जीभ और पेट वाले बच्‍चों के लिए भी नियम लगभग यही है। हालांकि स्‍कूल जाने वाले बच्‍चे जिन्‍हें भूख संबंधी समस्‍या है। बढ़िया मसालेदार, स्‍वादिष्‍ट खाना उन्‍हें अपनी खाने की खुशी को दोबारा वापिस पाने में मदद करता है।
वे जो बहुत ज्‍यादा नमक खाना नहीं चाहते हैं उन्‍हें याद रखना चाहिए कि अच्‍छा-मसालेदार आधा नमकीन होता है।

महत्‍वपूर्ण निर्देश

कभी भी औषधीय जड़ी-बूटियों को ड्रग्‍स के रुप में इस्‍तेमाल न करें। अत्‍यधिक मात्रा में इस्‍तेमाल करने पर सभी जड़ी-बूटियां जहरीली होती है और मन-मुताबिक प्रभाव नहीं होता है।

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